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परिवर्तन
मुझपे बहती जब द्रव की धार, बढ़ती मुझमें ऊर्जा अपार । सूक्ष्म है मेरा रूप तो क्या, करती मैं भी सीमाएं पार ॥ जंग छिड़ती, योद्धा मरते, बदलाव आते कुछ इस प्रकार । शोभित होकर मैं दल-बल से, लड़ती प्रभाव से अ…